धनतेरस पर क्या खरीदें? शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पौराणिक कथा की पूरी जानकारी

Dhanteras 2025 thumbnail showing Goddess Lakshmi idol, glowing diyas, gold coins, and kalash with black and golden festive background and Hindi text “धनतेरस 2025 शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और क्या खरीदें

Dhanteras” या धनत्रयोदशी (Dhantrayodashi) हिन्दू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है, जो दीपावली (Diwali) पर्व की शुरुआत करता है। यह त्यौहार हर वर्ष कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। “धन” का अर्थ है “सम्पत्ति, ऐश्वर्य, धन-धान्य” और “तेरस / Trayodashi” तेरहवीं तिथि को संकेत करता है। इस दिन को धन-समृद्धि, स्वास्थ्य और कल्याण की कामनाओं से जोड़ा जाता है। (Wikipedia)

धनतेरस का महत्व मुख्यतः इन दो बातों से जुड़ा हुआ है:

  1. समुद्र मंथन (Samudra Manthan) की कथा जिसमें भगवान दक्ष् वत्स्यायन (Dhanvantari) अमृत (nectar) लेकर प्रकट हुए। (Wikipedia)
  2. एक लोककथा जिसमें यमराज द्वारा एक राजकुमार को साँप द्वारा मारे जाने की प्रबल संभावना होती है, जिसे उसकी पत्नी ने धन-गहनों, दीपों और कहानियों से बचाया। (Wikipedia)

धनतेरस के दिन गoddess Lakshmi, Lord Kubera और Lord Dhanvantari की पूजा की जाती है, ताकि घर में समृद्धि, स्वास्थ्य और सौभाग्य बनाए रखा जाए। (Astroyogi)


पौराणिक कथा / मिथक — क्यों मनाया जाता है धनतेरस?

यहाँ दो प्रमुख कथाएँ प्रचलित हैं — एक देवी-देवताओं से जुड़ी और दूसरी मानवीय कथा:

कथा 1: समुद्र मंथन और धन्वंतरि प्रकट होना

हिन्दू पुराणों में वर्णित है कि देवता और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, ताकि अमृत (nectar of immortality) प्राप्त हो सके। मंथन के समय, भगवान विष्णु ने धारण किया कि दहन्वंतरि (Dhanvantari) (जो आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं) अमृत कलश लेकर समुद्र से प्रकट होंगे। उस घटना को धनतेरस की शुभ तिथि माना गया। इसलिए इस दिन स्वास्थ्य, जीवन और समृद्धि की कामना की जाती है। (Wikipedia)

कथा 2: राजा हिम के पुत्र और यमराज

एक प्राचीन लोककथा है कि राजा हिम (या राजा शिल्प) का एक पुत्र था, और उसकी जन्मकुंडली (horoscope) कहती थी कि विवाह के चौथे दिन उसे एक साँप (विपत्ति) द्वारा मारा जाएगा। उसकी नई पत्नी ने अपनी बुद्धि और भक्ति से योजना बनाई:

  • उसने सारे सोने-चांदी के गहने, मोती और धन-धान्य कमरे के बाहर दरवाजे पर रख दिए।
  • कमरे को दीपों (diyas) से जगमगा दिया।
  • रात भर गाने, कहानियाँ सुनाने और अन्य गतिविधियों से पति को सोने नहीं दिया।

जब यमराज साँप के रूप में उस जहान में आए, तो उन्होंने गहनों और दीपों की आभा से आँखें अन्धी हो गईं और वे चौंक गए। वे वहाँ बैठ गए, सुनते रहे, और तब तक बात नहीं कर सके कि समय बीत गया। अंततः सुबह होते ही उन्होंने चुपचाप वह जगह छोड़ दी और राजकुमार की रक्षा हुई। इस कारण से उस तिथि को यम-दीपदान (Yamadeepdan) कहा गया — घर के बाहर दीप जलाए जाते हैं ताकि यम (मृत्यु) को दूर रखा जाए। (Wikipedia)

इस लोककथा के कारण धनतेरस को “यमकथा दिवस” भी कहते हैं और दीप जलाने की परंपरा आज तक बनी हुई है।


धनतेरस का महत्व / Significance

धनतेरस का महत्व धार्मिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर व्यापक है:

  • यह दीपावली पर्व की शुरुआत है, इसलिए शुभ कामों की शुरुआत के लिए अत्यंत अनुकूल दिन माना जाता है। (Astroyogi)
  • धन-उपहार और धातुओं (सोना, चांदी, तांबा आदि) की खरीदारी इस दिन विशेष शुभ मानी जाती है — माना जाता है कि जो भी समान इस दिन खरीदा जाए, वह समृद्धि और सौभाग्य लेकर आएगा। (The Times of India)
  • स्वास्थ्य की दृष्टि से — भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से आयु-शक्ति और रोग प्रतिरोधक तंत्र की वृद्धि की कामना होती है। (Wikipedia)
  • व्यापारियों के लिए — नए खाता-पुस्तकों (ledger) की शुरुआत, नए व्यवसाय या निवेश की शुरुआत करने का श्रेष्ठ दिन माना जाता है। (Moneycontrol)
  • सामाजिक एवं आध्यात्मिक: घर, दुकान और प्रतिष्ठान को साफ-सुथरा रखना, दीप और प्रकाश से सजाना, सकारात्मक ऊर्जा व शुभता को आमंत्रित करना।

इस तरह, धनतेरस न केवल धन की पूजा है बल्कि जीवन में स्वास्थ्य, सफलता तथा सुरक्षा की प्रार्थना का दिन भी है।


2025 में धनतेरस का शुभ मुहूर्त / Dhanteras 2025 Shubh Muhurat

धनतेरस का शुभ समय (muhurat) तिथि, समय, प्रादोष काल आदि देश-विशिष्ट होते हैं। नीचे एक तालिका में दिल्ली / भारत के लिए 2025 का एक सामान्य शुभ मुहूर्त दिया गया है (आप अपने शहर या स्थान के लिए स्थानीय पंचांग जांच लें)। (AstroSage Panchang)

घटक / समयविवरण (2025)
दिनांक18 अक्टूबर 2025 (शनिवार)
Trayodashi तिथि अवधि12:18 PM (18 अक्टूबर) — 1:51 PM (19 अक्टूबर)
Pradosh Kaal05:48 PM — 08:20 PM (लगभग)
शुभ मुहूर्त (Lakshmi Puja)19:17:35 — 20:19:58 (लगभग 1 घंटा, 2 मिनट)
Vrishabha Kaal (स्थिर काल)19:17:35 — 21:13:29

नोट: ये समय सामान्य दिल्ली / भारत के लिए हैं। आपके स्थान (शहर / राज्य) के अनुसार समय भिन्न हो सकता है, इसलिए अपने स्थानीय पंचांग (पंचांग या ज्योतिष स्रोत) की पुष्टि कर लें।

ध्यान देने योग्य बात:

  • पूजा प्रादोष काल के दौरान या उस समय जिसमें स्थिर लग्न (Sthir Lagna) हो, करना शुभ माना जाता है।
  • Trayodashi तिथि के बाहर पूजा किया जाए, तो उसका परिणाम कम माना जाता है।
  • पूजा समय से पहले स्नान, स्वच्छता, घर की सफाई आदि अनिवार्य माने जाते हैं। (The Times of India)

पूजाविधि (Puja Vidhi) — चरणबद्ध तरीके से

नीचे धनतेरस पूजाविधि का विस्तृत चरणवार विवरण है:

पूर्व तैयारी

  1. सफाई और सजावट:
    • पूजा से 1–2 दिन पहले घर, पूजाघर (mandir), प्रवेश द्वार आदि अच्छी तरह से साफ करें।
    • रंगोली बनाएं, लाइट्स, दीये, फूल आदि से घर सजाएँ।
    • मंदिर या पूजा स्थल को हल्दी, चावल, अक्षत आदि से सजाएं।
    • पूजा स्थान पर लाल वस्त्र बिछाएँ या लाल कपड़ा रखें।
  2. पूजा सामग्री (Samagri) तैयार करें:
    ज़रूरी सामानों की सूची निम्न है (पूरी सूची आगे दी जाएगी)।
    • मूर्ति / चित्र: गoddess Lakshmi, Lord Ganesha, Lord Kubera, (यदि संभव हो तो Lord Dhanvantari)
    • कलश, गोमती चक्र, दीप (दीये), वात् तेल, कपूर
    • रंग (रंगबिरंगे पुष्प), अक्षत (चावल), हल्दी, कुमकुम, सिंदूर, रोली
    • फल, मिठाई (prasad), सुपारी
    • नारियल, तिल, गुड़, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
    • धन-गहने, सिक्के, नकदी
    • धूप, अगरबत्ती, धूपदण्ड
    • ताड़पत्र / पत्र (पत्रिका)
    • लाल वस्त्र, हल्दी–कुंकुम पट्टियाँ
    • पुष्पमाला, पान पट्‌टे (पेन लीफ्स)
    • अक्षत, रंगोली पाउडर
    • कप (जल भरने लिए), कलश जल, गंगाजल
    • पूजा थाली, थाली में कुमकुम, हल्दी, अक्षत
    • घी या तेल दीपक के लिए
    • साफ पानी, स्नान आदि के लिए
  3. स्नान और शुद्धि:
    • पूजा करने वाले को सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए।
    • पूजा कक्ष या मूह स्थान को गंगाजल या शुद्ध जल से छिड़ककर शुद्ध करें।

पूजा आरंभ

  1. गणेश पूजन:
    • सबसे पहले Lord Ganesha की आराधना करें क्योंकि वे विघ्नहर्ता हैं।
    • गणेश मंत्र पढ़ें, जैसे: वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
    • उन्हें पुष्प, अक्षत, जल आदि अर्पित करें।
  2. कार्य-पूजा (Goddess Lakshmi, Kubera, Dhanvantari):
    • मूर्ति/चित्र स्थापित करें और उन्हें स्वच्छ वस्त्र, पुष्प आदि अर्पित करें।
    • कलश स्थापित करें — कलश में जल भरें, ऊपर नारियल रखें और उस पर अक्षत, फूल, सिक्के आदि रखें।
    • Lakshmi Puja:
      • लक्ष्मी जी को निम्न मंत्रों का जाप करें (देखें आगे)।
      • उन्हें पुष्प, अक्षत, धूप, दीप, फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
      • Lakshmi Aarti करें।
    • Kubera Puja:
      • धन-धान्य, फल, पुष्प अर्पित करें।
      • मन में वित्त-संपदा की कामना करें।
    • Dhanvantari Puja: (यदि मूर्ति या चित्र हो)
      • उन्हें पंचामृत अर्पित करें।
      • स्वास्थ्य एवं रोगनाशन की कामना करें।
  3. यम-दीपदान (Yama Deep / Yamadeep):
    • पूजा के बाद या साथ ही घर के बाहर (दक्षिण दिशा या मुख्य द्वार पर) एक दीप जलाएं।
    • दक्षिण दिशा की ओर दीप रखकर यमराज से प्रार्थना करें कि वे परिवार को अकाल मृत्यु और कष्टों से दूर रखें। (Moneycontrol)
  4. आरती और प्रसाद वितरण:
    • अंत में Lakshmi Aarti करें — दीप को हाथ से गोल घुमाएँ और भजन–कीर्तन करें।
    • पूजा की सामग्री (फल, मिठाई, अक्षत) को प्रसाद के रूप में घर के सदस्यों में वितरित करें।
    • धन-गहने, सिक्के आदि पूजा थाली में रखे जाते हैं और बाद में उन्हें घर के तिजोरी / सुरक्षित स्थान में रखें।
  5. विशेष बात:
    • पूजा समाप्ति के बाद धन-गहने, सिक्के आदि को जल या गंगाजल से छिड़ककर रखें।
    • जितना संभव हो, रात भर दीप जलाएं (गृह दीप व यमदीप)।
    • प्रतिज्ञा करें कि इस वर्ष आप सादगी, सदाचार और धर्म के मार्ग पर चलेंगे।

चेतावनी: पूजा करते समय मन एकाग्र, श्रद्धा और भक्ति से भरा होना चाहिए — वितरण, झल्लाहट, जल्दबाज़ी न करें।


मंत्र एवं श्लोक — शक्ति के साथ जाप

नीचे कुछ मुख्य और शक्तिशाली मंत्र दिए गए हैं जिन्हें धनतेरस पूजन में 108 या कम से कम 11 या 21 बार जपा जाता है:

  1. धनतेरस (विशेष) मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥ (यह मंत्र धन-आकर्षण हेतु प्रयुक्त होता है) (astropuja.com)
  2. कुबेर मंत्र: ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये। धनधान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥ (astropuja.com)
  3. लक्ष्मी स्तोत्र / लक्ष्मी स्तुति / लक्ष्मी आरती:
    • लक्ष्मी आरती (उदाहरण): ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुम्हारी कृपा से मिल जाए सब सुख हमारा॥ और आगे की पंक्तियाँ… (astropuja.com)
    • आप लक्ष्मी अष्टकम् (8 श्लोक) आदि भी पढ़ सकते हैं। (astropuja.com)
  4. विविध पूजन मंत्र:
    • गोमती चक्र / रूपाय हेतु मंत्र आदि कब / यदि पूजा ग्रंथ में हो तो उपयोग करें।
    • स्वाध्याय / स्तुति श्लोक — जैसे “श्री महालक्ष्मी नमः” आदि।

नियम: प्रत्येक मंत्र जाप श्रद्धा और उच्चारण की शुद्धता से करें। यदि संभव हो, किसी ज्ञानी पंडित से पुष्टि कर लें।


क्या-क्या खरीदना चाहिए (What to Buy on Dhanteras)

धनतेरस पर क्या खरीदा जाए यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है, क्योंकि मान्यता है कि जो भी शुभ वस्तु इस दिन खरीदी जाए, वह समृद्धि और सौभाग्य लाती है। नीचे सूची में दी गई वस्तुएँ अक्सर इस दिन खरीदी जाती हैं — लेकिन आप अपनी सुविधा, बजट और आवश्यकता के अनुसार चयन करें:

  1. सोना / चांदी / गहने / सिक्के / धातु का आभूषण
    • सोने-चांदी के गहने, बांगड़ी, टिका, मांग टीका आदि।
    • मुद्रा-सिक्के (gold / silver coins)
    • कांच या धातु की मूर्तियाँ (Lakshmi, Ganesha)
  2. धातु के बर्तन / किचनवेयर
    • तांबे, पीतल, स्टील, चांदी के बर्तनों
    • नये बर्तन (लौकी, कटोरे, थाली आदि)
  3. इलेक्ट्रॉनिक उपकरण / गृह उपकरण (Electronics / Home Appliances)
    • नया मोबाइल, टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन आदि
    • अगर यह दिन नए उपकरण खरीदने का है, तो शुभ मानी जाती है। (iDiva)
  4. पौधे / तुलसी / हरी पौधे
    • वास या गमले में सुंदर पौधे
    • तुलसी का पौधा
  5. दीप, पत्तियाँ, कलश आदि पूजन सामग्री
    • नया कलश
    • दीपक / तेल / मूँगफली तेल
    • सुंदर दीये / मिट्टी के दीप
  6. पान-पत्ते (पान पट्टे)
    • पाँच पान की ताज़ी पत्तियाँ — यह पंच तत्वों (earth, water, fire, air, ether) का प्रतिनिधित्व करती हैं। (The Times of India)
  7. खाद्य सामग्री / मिठाई / प्रसाद
    • गुड़, तिल, चावल, चने, दक्षिणा आदि
    • कण-कण में मिठाइयाँ, मेवे
  8. साफ-सफाई / सजावट सामग्री
    • रंगोली पाउडर
    • नए झाड़ू, ऑर्गनाइज़र, सजावटी सामान
  9. कपड़े / वस्त्र / जूते / बैग
    • नए वस्त्र, जूते, बैग आदि (यह भी शुभ माने जाते हैं)
  10. पुस्तकें / धार्मिक ग्रंथ
    • अगर संभव हो तो धार्मिक पुस्तकें या ग्रंथ

नोट: जो वस्तु आप खरीदें, उसे पूजा के बाद ही उपयोग करें, पहले पूजा स्थल पर रखें और उसे शुद्ध करें। (Moneycontrol)


लाभ और सावधानियाँ / Benefits & Mistakes to Avoid

लाभ (Benefits)

  • समृद्धि, धन-संपदा और आर्थिक सुरक्षा की कामना पूरी होती है।
  • स्वास्थ्य एवं दीर्घायु की प्राप्ति के लिए भगवान धन्वंतरि की अर्चना।
  • बुरी शक्तियों और नकारात्मक उर्जा से परिवार की रक्षा — विशेष रूप से यम देव को दीप अर्पण कर।
  • नए व्यापार, निवेश या व्यवसाय की शुरुआत के लिए शुभ अवसर।
  • घर की सकारात्मक ऊर्जा, शुद्धि और सौभाग्य का प्रवाह बढ़ाना।

सावधानियाँ / गलतीयाँ जिनसे बचें

  • त्रयोदशी तिथि समाप्त होने के बाद पूजा न करें — समय निकलने पर लाभ कम हो जाता है।
  • पूजा सामग्री अधूरी हो — सभी सामग्री (सामग्री) पहले से जुटा लें।
  • मन में द्विविधा, चिंता, वाद-विवाद या अशुद्ध विचार लेकर पूजा न करें।
  • पूजा करते समय समय सीमा को लांघना न — समय से पहले या बाद पूजा करना अनिष्ट माना जाता है।
  • दीप, धन-गहने आदि वस्तुओं को पूजा के बाद स्वच्छ न करना — उन्हें गंगाजल या जल से शुद्ध करें।
  • पूजा स्थल की गंदगी या अव्यवस्था — पूजा के स्थान को शुद्ध, सज्जित रखें।
  • दीपक, आग, तेल आदि का लापरवाही से उपयोग — आग सुरक्षा का ध्यान रखें।

धनतेरस: धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का पर्व

भारतवर्ष में प्रत्येक त्यौहार का एक दिलचस्प इतिहास और आध्यात्मिक संदेश होता है, और धनतेरस उनमें से एक अनमोल पर्व है। दीपावली की शुरुआत के रूप में यह दिन हर वर्ष लोगों के जीवन में उजाला, खुशी और उम्मीद लेकर आता है। धनतेरस का शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक महत्व इसलेय अत्यंत गहरा है।

धनतेरस शब्द दो भागों से मिलकर बना है: “धन” (wealth, prosperity) और “तेरस” (Trayodashi, तेरहवीं तिथि)। इस दिन को धन की देवी, स्वास्थ्य के देवता और मृत्यु-विदारण की शक्ति का सम्मान करने वाला माना गया है।

कथा और पौराणिक महत्व

जैसा कि पुराणों ने वर्णन किया है, जब देव और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तब दहन्वंतरि एक अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे — ऐसे दिन का स्मरण आज हम धनतेरस के रूप में करते हैं। इसके अतिरिक्त, यम-दीपदान की कथा यह सिखाती है कि प्रकाश, भक्ति और विवेक से अज्ञान एवं मृत्यु की उर्जा को रोका जा सकता है।

ये कथाएँ हमें यह संदेश देती हैं कि धन केवल बाहर से नहीं आता — उसे चल बनाए रखने के लिए भक्ति, ज्ञान और सत्कर्मों की आवश्यकता होती है।

शुभ मुहूर्त — समय का महत्व

2025 में धनतेरस पर शुभ समय (muhurat) इस प्रकार होगा — 19:17:35 से 20:19:58। यह काल प्रादोष एवं स्थिर लग्न से मेल खाता है। इस समय में पूजा करने से घर में लक्ष्मी जी का ठहराव माना जाता है। (आपके शहर के लिए स्थानीय पंचांग देखें)

पूजा विधि — श्रद्धा के साथ

पूजा की तैयारी, गणेश-पूजन, लक्ष्मी-कुबेर पूजा, यम-दीपदान आदि चरणों को विस्तार से करना चाहिए। मंत्रों का जाप, दीपक घुमाना, प्रसाद वितरण — ये सभी क्रियाएं श्रद्धा और शुद्ध हृदय से होनी चाहिए।

क्या खरीदना चाहिए, और क्यों?

धनतेरस पर सोना, चांदी, बर्तनों, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं, पौधों आदि की खरीदारी शुभ मानी गई है। यह न केवल एक सामाजिक परंपरा है, बल्कि आर्थिक गतिविधि को भी गति देती है।
विशेष रूप से, पांच पान पत्ते (पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व), कलश, दीपक आदि भी अत्यंत शुभ माने जाते हैं।

ध्यान देने योग्य बातें

पूजा के समय संयम, समयबद्धता और भक्ति अनिवार्य हैं। पूजा स्थल की सफाई, सामग्री की पूर्णता, समय के भीतर काम करना — ये सभी बातें पूजा को सफल बनाती हैं।


FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

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