माँ दुर्गा

माँ दुर्गा आरती के बारे में

माँ दुर्गा की आरती हिंदू धर्म की एक पवित्र परंपरा है जो माता दुर्गा के श्रीचरणों में अर्पित की जाती है। यह आरती माता के नौ रूपों की स्तुति करती है और भक्तों के मन में श्रद्धा और भक्ति का भाव जगाती है। नवरात्रि के दौरान इस आरती का विशेष महत्व है। माँ दुर्गा की कृपा से सभी कष्टों का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

🌺 श्री दुर्गा माता की संपूर्ण आरती 🌺

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
**ॐ जय अम्बे गौरी..॥**
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
**ॐ जय अम्बे गौरी..॥**
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
**ॐ जय अम्बे गौरी..॥**
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
**ॐ जय अम्बे गौरी..॥**
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥
**ॐ जय अम्बे गौरी..॥**
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
**ॐ जय अम्बे गौरी..॥**
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
**ॐ जय अम्बे गौरी..॥**
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
**ॐ जय अम्बे गौरी..॥**
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
**ॐ जय अम्बे गौरी..॥**
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥
**ॐ जय अम्बे गौरी..॥**
भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥
**ॐ जय अम्बे गौरी..॥**
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥
**ॐ जय अम्बे गौरी..॥**
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥
**ॐ जय अम्बे गौरी..॥**
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।